धरम पेठ के अपने सौदें हैं
भीड़ के सर पर खड़ी रहती है सीताबर्डी
अदृश्य हैं रामदास की पेठ
बगैर आवाज के रेंगता है
शहीद गोवारी पुल
शहीद गोवारी पुल
धूप अपनी जगह छोड़कर
अंधेरों में घिर जाती हैं
अंधेरों में घिर जाती हैं
घरों से चिपकी हैं उदास खिड़कियां
यहाँ छतों पर कोई नहीं आता
यहाँ छतों पर कोई नहीं आता
खाली आँखों से
खुद को घूरता है शहर
खुद को घूरता है शहर
उमस से चिपचिपाये
चोरी के चुंबन
अंबाझरी के हिस्से हैं
चोरी के चुंबन
अंबाझरी के हिस्से हैं
दीवारों से सटकर खड़े रहते हैं साये
खरोंच कर सिमेट्री पर नाम लिख देते हैं
खरोंच कर सिमेट्री पर नाम लिख देते हैं
जैस्मिन विल बी योर्स
ऑलवेज,
एंड फॉर एवर ...
ऑलवेज,
एंड फॉर एवर ...
यहाँ दफ़्न मुर्दे मुस्कुराते देते हैं मन ही मन
खिल रहा, वो दृश्य था
जो मिट रहा, वो शरीर
खिल रहा, वो दृश्य था
जो मिट रहा, वो शरीर
एक गंध सी फेल जाती है
लड़कियों के जिस्म से सस्ते डीओज़ की
लड़कियों के जिस्म से सस्ते डीओज़ की
अंधेरा घुल जाता है उनके साथ
और हवा दुपट्टों के खिलाफ बहती है
और हवा दुपट्टों के खिलाफ बहती है
इस शहर का सारा प्रेम
सरक जाता है सेमिनरी हिल्स की तरफ।
सरक जाता है सेमिनरी हिल्स की तरफ।
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