औघट घाट
कहीं छूट न जाए पकड़ वक्त से या फ़िर सही अंत जीवन का...
Saturday, July 16, 2016
वहीं,
वहीं,
मौत सी उसी ठंडी खामोश नींद में
मिलना मुझसे
या फिर नर्क में।
तुम जिंदगी से निहारना
और मैं अपनी मौत से झाकूंगा तुम्हे
वहीं
मौत सी उसी ठंडी ख़ामोश नींद में
मिलना मुझे
या फिर कोई जगह तय कर बता देना
जहां तुम रहती ना हो
या जहां मैं पहुंच न सकूँ
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