Saturday, May 13, 2017

जस्टिन ड्रयु बीबर और हम सब

शास्त्रीय संगीत की महफिलों को सजाने के लिए जर्जर और लगभग ढह चुके सभागारों के लिए भी मिन्नतें करना पड़ती हैं। नेताओं के हाथ- पांव जोड़कर उन्हें अतिथि बनाया जाता है। जैक लगाकर टैंट हाउस वालों से दरी और लाल कुर्सियां जुगाड़ना पड़ती हैं। टिकट तो दूर प्रवेश पत्र भी इन महफिलों को नसीब नहीं होता। इतनी कुश्ती के बाद कुछ चार- छह सुनकार महफिलों में  मक्खियां मारते हैं। ऊंघते हैं। दरी से कचरा बिनते हैं। कुछ दरख़्त ऐसे होते हैं जो ठुमरी पर हाथ नचाते हैं। राग पर बैराग हो जाते हैं। इन पके दरख़्तों में से कुछ को तो को चाय बिस्किट भी नहीं मिलते। ग्वालियर घराना से लेकर किराना घराना तक। आगरा घराना से लेकर इंदौर घराना तक। जयपुर अतरौली से लेकर रामपुर सहसवान तक। कोई ठुमरी नहीं सुनता। कजरी- चैती तो दूर कोई ख़याल नहीं दोहराता। किसका विवाह। कौन छन्नू लाल मिश्र। किशोरी अमोनकर मरी तो पहचानी गई। यहाँ मुकुल शिवपुत्र बेख़याल है। राशिद खान गुमनाम हैं। कौशिकी चक्रवर्ती बम्बई तरफ निकल रही हैं। पुरनसिंह कोटी के बेटे मास्टर सलीम दिल्ली के जगरातों में हैं। कबीर के झांझ मंजीरें सिर्फ गाँवों की आवाजें हैं। निर्गुणी मालवा के बाहर नहीं जा पा रहे। भैरवी तो इतना भी रेअर नहीं। ध्रुपद तो दूर है - और गंभीर है।

जस्ट इन - जस्ट आउट
उधर सुना है- एक 23 साल का लौंडा जस्टिन बीबर बम्बई को ठग गया। जस्ट इन एंड जस्ट आउट। बॉस्केट बॉल शॉर्ट्स पहनकर आर एंड बी रहा था। (आर एंड बी एक सिंगिंग स्टाइल है - यह फंक, सोल, पॉप, हिपहॉप और रिदम ब्लूज़ का कॉम्बिनेशन होता है ) इसी जॉनर के लिए जस्टिन बीबर जाना जाता है।  भारत के 60 परसेंट बिलो 21 कूल डूड बीबर के दीवाने हैं - लेकिन वो शॉर्ट्स पहनकर लिप्सिंग कर गया। कूल डूड की तो बात ठीक है - यह उनका लाइफस्टाइल है। इस उम्र की उनकी अपनी चॉइस है। लेकिन उन इंटेलेक्टुअल्स का क्या जिन्होंने 50 हज़ार / 75  हज़ार का टिकट लिया था। उस बॉलीवुड का क्या जो बाहें पसारकर उसके साथ सेल्फी लेना चाहता था।    

- तुम्हारा ही गाना गाना चाहता हूँ बीबर - ' व्हाट डू यू मीन ' जस्टिन ?  नाउ से ' सॉरी ' टू इंडिया। कूल डूड तुम भी जस्टिन को सॉरी कह सकते हो।