Monday, December 21, 2009

मुझे रायना से प्रेम हो गया है


एक दिन रात को निर्मल वर्मा की "वे दिन" पढ़ते हुए...

अभी-अभी एक किताब पढ़कर रखी है और अब कुछ लिखने के बारे में सोच रहा हूँ- एक लगातार सोच और तड़प लिखने के बारे में। लिखने के बारे में सोचना या इस प्रोसेस से गुजरना एक यातना भरा काम है। यह एक अभिशप्त जीवन है जिसे लिखने की या सोचने की यातना भुगतते रहना है- लगातार और हमेशा ... राहत की बात सिर्फ यह है कि यह यातनाएं किश्तों में मिलती है- लिखकर ख़त्म किए जाने और लिखने की अगली शुरुआत के बीच में सुखद अनुभव भी होता है वह जो अंतराल है वह सुखद होता है. फिर अगली यातना भोगने के लिए तैयार भी रहना होता है। लेकिन फिर भी और अल्टीमेटली- लिखना मेरे लिए खुद को खोजने की तरह है- और नहीं लिखना खुद को खो देने की तरह या खुद को खोते जाने की तरह।

पढना फिर भी लिखने की बजाए कुछ-कुछ- और थोडा-बहुत अधिक सुखद भरा है- जब आप रोशनी से भरे अपने कमरे में रात के समय नितांत अकेले निर्मल वर्मा की "वे दिन" पढ़ रहे हो. दिसम्बर की सर्दी हो. जब न सिर्फ प्राग में बल्कि आपके शहर में भी बर्फ गिर रही हो - लेकिन फिर किताब का ख़त्म होना भर है और आपको लौट जाना है यातना से भरे उसी वक़्त में क्योंकि हमारे शहर में प्राग की तरह बर्फ रोज नहीं गिरती।

आधी रात का समय है और सर में बहुत दर्द है- कमरे की झक सफ़ेद रोशनी आखों में अब चुभने लगी है. यह खुद को झोकने की तरह है - मैने कहा था न ... यह एक अभिशप्त जीवन है - लिखना यातना से भरा काम है।

रायना बहुत खुबसूरत है प्राग की सफ़ेद बर्फ की तरह. मुझे रायना से प्रेम हो गया है और प्राग से भी ... वह हमारे शहरों की तरह तो नहीं होगा - अराजक। भले ही हमारे शहरों में बर्फ रोज न गिरती हो उन्हें अराजक तो नहीं होना चाहिए न ... ? और फिर कोई जगह बर्फ न गिरने से बदसूरत तो नहीं हो जाती। मुझे प्राग दिखाई दे रहा है और रायना भी।

सच कहा था तुमने - यह किताब एक नशा है - शेरी, कोन्याक, स्लिबो वित्से - नशा तो होगा ही।

दोनों प्राग की सडकों, पहाड़ों और नाईट क्लब्स में बाहों में बाहें डाले घूमते रहे, चुमते रहे और बातें करते रहे - फिर एक दिन दोनों एक कमरे में घटे - एक मर्मान्तक चाह ... एक अंतहीन खुलापन ...

लेकिन वो किसी की नहीं हो सकती ... नहीं हो सकी ... हो सकता है निर्मल वर्मा आज भी उसे प्राग के खंडहरों में भटकते हुए कहीं खोजते हो...

मुझे रायना से प्रेम हो गया है
और प्राग से भी
वो खुबसूरत है
प्राग की सफ़ेद बर्फ की तरह
किताब में लिखी रायना से कहीं अधिक

वह मेरी आखों में है
शब्दों से बाहर निकल सांस लेती हुई

सच कहा था तुमने
यह किताब एक नशा है
शेरी, कोन्याक, स्लिबो वित्से
और सिगरेट की बेपनाह धुंध
कार्ल मार्क्स स्ट्रीट बहक गई होगी
नशे में चूर होंगे
वहां के नाईट क्लब्स

वहीं किसी बार में
उदास बैठी होगी मारिया
रायना को खोजते होंगे निर्मल वर्मा
प्राग के खंडहरों में

मुझे रायना से प्रेम हो गया है
और प्राग से भी .