Tuesday, June 30, 2009

एक दिन शाम को



तालाब का किनारा

धुँए सी सफ़ेद लहरें

कतारों में हरिकेन सुलग रहे है

रोटी की महक

और मेरे सिगरेट के कश ने

वक्त को जिंदगी में बदल दिया है

में जिंदगी की सबसे हसींन साँस ले रहा हूँ

मानो वक्त को उँगलियों पर लपेट लिया हो मैने

गाँव की लड़कियां अब औरते हो गई है

कुछ अभी भी मेरी आंखों में पिघल रही है

मेरा दोस्त मुर्गा सेक रहा है

और में जिंदगी चख रहा हूँ

Saturday, June 13, 2009

अनिश्चित



मैं अनिश्चित हूँ

तुम भी

वो भी

और हम सब

अनिश्चित ...