
हो या न हो
सवाल बस यही है
क्या सही है घुटते रहना
अपनी ही सोच में
और सह लेना हर उस बात को
जो किस्मत ने तय की है
न कोई आंसू न कोई शिकायत
बस एक चुप्पी...
जो किसी को कुछ जानने न दे
कहीं छूट न जाए पकड़ वक्त से
या फ़िर सही अंत जीवन का
जिसमे मर्जी अपनी हो
सिर्फ़ अपनी...
मगर सवाल तो यह है मेरी प्यारी ओफेलिया
की यह सवाल है क्या...?