मिट्टी दा बावा नय्यो बोलंदा,
वे नय्यों चालदां, वे नय्यों देंदा है हुंगारे
अकेलेपन की कोई जगह नहीं होती. वह एक एब्स्ट्रैक्ट अवस्था है. एक उदास अंधेरे का विस्तार. कभी न खत्म होने वाली अंधेर गली. इन अंधेर गलियों को हर आदमी कभी न कभी अपने जीते जी भोगता है. जो भोगता है उसके अलावा शेष सभी के लिए ऐसी गलियां सिर्फ एक गल्प भर होती हैं. एक फिक्शन सिर्फ.
मेरा अकेलापन, तुम्हारा गल्प.
हमारे लिए जो गल्प है, उसी रिसते हुए दुख को जगजीतसिंह ने अपनी आवाज में उतारा. 90 के दशक के बाद जगजीतसिंह ताउम्र अपने बेटे का एलेजी (शोक गीत) ही गाते रहे. उनकी पत्नी चित्रासिंह ने तो इसके बाद गाना ही छोड़ दिया. दरअसल, 1990 में किसी सड़क हादसे में जगजीत-चित्रा के इकलौते बेटे विवेक की मौत हो गई थी. इसके बाद दोनों का साथ में सिर्फ एक ही एल्बम रिलीज हुआ. समवन समव्हेअर. ऐसा कहते हैं कि जगजीतसिंह कई बार घर में ही इस गीत को गुनगुनाया करते थे- और फिर अचानक से चुप हो जाया करते थे. कई बार तुम अपना दुख दूर नहीं करना चाहोगे.

2003 में मुंबई में जगजीतसिंह के एक लाइव कंसर्ट में उन्हें पहली बार सुना था. उन्होंने गाया था मिट्टी दा बावा नय्यो बोलदा... वे नय्यो चालदा ... वे नय्यो देंदा है हुंकारा. यह गीत चित्रासिंह ने किसी पंजाबी फिल्म में गाया था. इसके बाद शायद यह गीत दोनों के लिए एलेजी बनकर रह गया. अपने बेटे का शोकगीत. एक हरियाणवी लोकगीत की पंक्ति याद आ रही है. ‘ किस तरयां दिल लागे तेरा, सतरा चौ परकास नहीं ’ (कहीं भी रौशनी नहीं है, चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा पसरा है. मैं तेरे लिए ऐसा क्या करुं कि इस दुनिया में तेरा दिल लगा रहे)
जिस गीत को चित्रासिंह ने पंजाबी फिल्म में गाया, उसे बाद में जगजीतसिंह ने अपने कई कंसर्ट में गाया. - जैसे रुंधे गले से वे अरज लगा रहे हो कि मिट्टी का बावा बोलने लगे, चलने लगे.
हम सब का एक शोकगीत होता है. जिसका नहीं है, वे इस गीत को सुनकर रो सकते हैं/ दहाड़ मार सकते हैं. यह सुनकर हम एतबार कर सकते हैं कि दुख सिर्फ आंखों से ही नहीं रिसता. तुम्हारी त्वचा की रोमछिद्र से भी बहुत... दरअसल, बहुत सारा दुख छलक सकता है.
‘ मिट्टी दा बावा मैं बनानी हा
वे झाका पांडी हा
वे उठी देंडी हा खेसे
ना रो मिट्टी देया बाबेया
वे तेरा पियो परदेसी
वे झाका पांडी हा
वे उठी देंडी हा खेसे
ना रो मिट्टी देया बाबेया
वे तेरा पियो परदेसी
मिट्टी दा बावा नय्यो बोलंदा
वे नय्यों चालदां
वे नय्यों देंदा है हुंगारे
ना रो मिट्टी देया बाबेया
वे तेरा पियो बंजारा
वे नय्यों चालदां
वे नय्यों देंदा है हुंगारे
ना रो मिट्टी देया बाबेया
वे तेरा पियो बंजारा
कित्थे ता लावा कलियां
वे पत्ता वालियां
वे मेरा पतला माही
कित्थे ता लावा शहतूत
वे मेनू समझ न आवे ’
वे पत्ता वालियां
वे मेरा पतला माही
कित्थे ता लावा शहतूत
वे मेनू समझ न आवे ’
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