उसकी आखों के जीने से
भीगकर
उतरकर आया
अमावस्य का पूरा दिन
भीगकर
उतरकर आया
अमावस्य का पूरा दिन
दृश्य- अदृश्य
छाया और रौशनी
नदी के ठंडे किनारे
उँगलियों के पोर उसके
बर्फ की परतों से हाथ
उँगलियों के पोर उसके
बर्फ की परतों से हाथ
पूरी हथेलियों का होना हथेलियों में
पूरी उँगलियों का होना उँगलियों में
उलझना, खुलना,
खुलते जाना
पूरी उँगलियों का होना उँगलियों में
उलझना, खुलना,
खुलते जाना
फिर जीना उनका
हमने
हम दोनों ने
एक घर बनाया
हम दोनों ने
एक घर बनाया
धागे बुने
हाथ जोड़े
प्रार्थनाएं की
गोल- गोल घेरे बनाए
अंगूठियों की तरह घूमी पृथ्वी
उसके मन के फेरे लगाए
हाथ जोड़े
प्रार्थनाएं की
गोल- गोल घेरे बनाए
अंगूठियों की तरह घूमी पृथ्वी
उसके मन के फेरे लगाए
उँगलियों में उलझकर
सुलझ गई नियति
उसके कंधों पर थमी
तो आसान हो गई जिंदगी।
सुलझ गई नियति
उसके कंधों पर थमी
तो आसान हो गई जिंदगी।
अक्टूबर 12, 2015
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