Saturday, December 11, 2010

अश्वथामा ने कहा था


रात की ख़बरें
घर चली आती है
साथ- साथ

उनकी खुमारियां
साथ सोती है बिस्तर पर

हत्या
जिन्दा जलाया
अधमरा तडपता रहा सड़क पर
जिला अस्पताल

मौत

रात के ठहाके जरुरी है
कांच के गिलासों के साथ

सुबह के वक़्त
क्योंकि मुस्कुराना मुश्किल है

हो सकता है
ऐसे मुस्कुराने पर हंसी आ जाये

पर इस सुबह होंठ हिल ही गए

दिनों बाद ब्रुनो भी
इस सुबह सैर पर साथ गया
उसने भी जमकर ख़ुशी मनाई

सुबह ... आह !

नीली - सफ़ेद
छोटी- छोटी स्कर्ट
कुछ पाँव-पाँव
कुछ साइकिलों से
स्कूल जाती लड़कियां

हम खुश थे
संसार सुन्दर था

एक साथ
स्कूल जाते
बहुत सारे बच्चे
एक अपनी पीठ पर
कद से बड़ी
गिटार लटकाए
म्यूजिक क्लास जाता हुआ

कहीं निर्मल वर्मा की नॉवल का
कोई लैंडस्केप तो नहीं !

कोई छद्म या कल्पना कोई
या असत्य

क्या सच संसार है
या दिखता है सिर्फ

कुछ तो होगा
सुबह लिखी गई
इस कविता के तरह

कविता !

कई उदास
नीरस रातों के बाद

फ्लेशबेक में रखी हुई
एक किताब
वह पंक्ति

अश्वथामा ने कहा था
यह संसार एक दिन अवश्य सुन्दर बनेगा

(ब्रुनो मेरा बच्चा है)

16 comments:

  1. अद्भुत भाव बोध समेटे परतदार कविता!

    @अश्वथामा ने कहा था
    यह संसार एक दिन अवश्य सुन्दर बनेगा

    और ललाट पर लिये घाव
    रत्न के छिन जाने का
    सुन्दर संसार देखने को
    जीता रहा युगों तक...
    अमरता वांछनीय हो हमेशा
    कोई आवश्यक नहीं

    उसकी भविष्यवाणी
    जिए जा रही है

    जिलाए जा रही है।

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  2. घोर आशावादिता की पंक्तियाँ, वह सुबह कभी तो आयेगी।

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  3. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - देखें - 'मूर्ख' को भारत सरकार सम्मानित करेगी - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

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  4. रात के ठहाके जरुरी है
    कांच के गिलासों के साथ

    सुबह के वक़्त
    क्योंकि मुस्कुराना मुश्किल है

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....शायद संसार सुन्दर ही लगे ..

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  5. भाई नवीन रांगियाल जी हमें भी उम्मीद है कि ये संसार एक दिन अवश्य सुंदर बनेगा|

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  6. सुन्दर रचना!आशापूर्ण!

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  7. बहुत ही खुबसूरत रचना...मेरा ब्लागः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ मेरी कविताएँ "हिन्दी साहित्य मंच" पर भी हर सोमवार, शुक्रवार प्रकाशित.....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे......धन्यवाद

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  8. lag raha hai ki patarkarita kis had tak ki ja rahi hai sath hi indore se dewas tak jate huye har najare ko badi hi sundarta se kavita me ked kiya hai

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  9. हो सकता है
    ऐसे मुस्कुराने पर हंसी आ जाये

    बढ़िया बात है ये …

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  10. नवीन कविता के लिए ढेर बधाइयां. अच्छे जा रहे हो..लिखते रहो.. तुम्हारा संग्रह आना चाहिए.
    थोडा कुछ कविता पर बात करें तो अश्वत्थामा ने कहा था शीर्षक कविता के साथ न्याय नहीं कर पा रहा है, ऐसा मुझे लगता है. खबरों की खुमारी पर थोडा सोचना पडेगा. कविता के बिम्ब अच्छे हैं.. तुम सुबह जब सुबह सैर पर जा रहे हो तो छोटी-छोटी स्कर्ट पहनी लडकियों के स्कूल जाने की बात को पूरी तरह कोमल नहीं बना पाए हो लगता है मानों कुछ संदेहास्पद और बात अश्लील सी लग रही है. संसार की सुंदरता और खासकर सुबह की सुंदरता को बताने के लिए कई और बातें भी बेहतर बिम्ब के साथ बताई जा सकती हैं. क्या सच संसार है या दिखता है सिर्फ कविता में यहां क्या कहना चाहते हो पूरी तरह साफ नहीं हो पा रहा, यदि यह कहना चाह रहे हो ये जीवन सुंदर है इसमें दुख नहीं है बहुत कुछ जीने के लिए भी है तो इसे और भी बेहतर बना सकते हो..ऐसा मैं सोचता हूं.. हां एक बात और कविता एक रिदम में तो चल रही है लेकिन आखिरी में जाकर उसके आरंभ से लडखडाकर तालमेल नहीं बना पा रही है. बहरहाल कविता अच्छी है मैंने एक समीक्षक की हैसियत से देखा है.. तुम कवि हो तुम्हारे संसार में मेरी उतनी ही जगह है जितनी एक पाठक की है एक बार और बधाइयां...

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  11. नवीन कविता के लिए ढेर बधाइयां. अच्छे जा रहे हो..लिखते रहो.. तुम्हारा संग्रह आना चाहिए.
    थोडा कुछ कविता पर बात करें तो अश्वत्थामा ने कहा था शीर्षक कविता के साथ न्याय नहीं कर पा रहा है, ऐसा मुझे लगता है. खबरों की खुमारी पर थोडा सोचना पडेगा. कविता के बिम्ब अच्छे हैं.. तुम सुबह जब सुबह सैर पर जा रहे हो तो छोटी-छोटी स्कर्ट पहनी लडकियों के स्कूल जाने की बात को पूरी तरह कोमल नहीं बना पाए हो लगता है मानों कुछ संदेहास्पद और बात अश्लील सी लग रही है. संसार की सुंदरता और खासकर सुबह की सुंदरता को बताने के लिए कई और बातें भी बेहतर बिम्ब के साथ बताई जा सकती हैं. क्या सच संसार है या दिखता है सिर्फ कविता में यहां क्या कहना चाहते हो पूरी तरह साफ नहीं हो पा रहा, यदि यह कहना चाह रहे हो ये जीवन सुंदर है इसमें दुख नहीं है बहुत कुछ जीने के लिए भी है तो इसे और भी बेहतर बना सकते हो..ऐसा मैं सोचता हूं.. हां एक बात और कविता एक रिदम में तो चल रही है लेकिन आखिरी में जाकर उसके आरंभ से लडखडाकर तालमेल नहीं बना पा रही है. बहरहाल कविता अच्छी है मैंने एक समीक्षक की हैसियत से देखा है.. तुम कवि हो तुम्हारे संसार में मेरी उतनी ही जगह है जितनी एक पाठक की है एक बार और बधाइयां...

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  12. सुन्दर चिरजीवी आशा!

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  13. कुछ अलग से बिम्बो के प्रयोग ने असाधारण बना दिया है कविता को ..अच्छी लगी आशा का संचार करती सी खूबसूरत कविता.

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  14. आपको क्या पता उन्हें पढने के लिए कितनी महानत करनी पड़ती है . आप ठहरे कवि अपनी कविताओं में मगन ...

    अच्छा लिखते हो जी लिखा करो .....

    word verification हटा दो भय्या टिपण्णी करों को परेशानी होती है जी .
    चाहे modration लगा लो

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