वो सफ़ेद में थी
और मैं सफ़ेद में
उसकी आँखें
बहुत सारा काजल
पानी ...
बस की रफ़्तार
पीछे छुटते हुए
उस वक़्त के
पेड़, हवा
उस वक़्त की
एक नदी
आँखें ... काजल ... पानी
नशा ... क्या ...?
मैं जब्त होता गया
हासिल कुछ भी नहीं
सिवाय सफ़ेद
और वक़्त के
खोया भी कुछ नहीं
सिवाय सफ़ेद
और वक़्त के