Thursday, May 20, 2010

तुम

सबकी आँखों मै
फुंकते हो उम्मीदें
सपने बाँटते हो .

घटते रहते हो
अजीब सी कहानियों की तरह
मानों हजारों जिंदगीया ले ली हो
वक्त से उधार तुमने
अब लौटाते हो वापस
एक - एक टुकड़ा जिंदगी
अपने अंदर से तोड़कर .

तुम ईश्वर तो नही
ईश्वर जेसे भी नही .

हाँ , मैंने देखा है
तुम्हारे अंदर
किसी और को सांस लेते हुए
तुम्हारी सांसे उसकी सांसो मै घुलते हुए
शंख बजाते , राख उड़ाते .
सबकी आँखों मै
फुकंते हो उम्मीदें
सपने बाँटते हो .

तुम ईश्वर तो नही
ईश्वर जेसे भी नही
लेकिन मुखोटों के मेलों मै

कुछ - कुछ इंसान के जेसे हो .