tag:blogger.com,1999:blog-8624737842454330310.post8867254036893950365..comments2023-07-12T05:24:27.895-07:00Comments on औघट घाट: अमंगल में मंगल बिस्मिल्लाह...Navin rangiyalhttp://www.blogger.com/profile/14472010320875454612noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8624737842454330310.post-67469045459557276262009-07-16T07:10:32.841-07:002009-07-16T07:10:32.841-07:00behatarin aalekha badhiya....behatarin aalekha badhiya....ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8624737842454330310.post-25795428174274352902009-07-16T06:46:51.694-07:002009-07-16T06:46:51.694-07:00नवीन, आज तुमने 'बिस्मिल्ला' किया है। नई ब...नवीन, आज तुमने 'बिस्मिल्ला' किया है। नई ब्लॉग-मसरुफ़ी का बिस्मिल्ला, और उसे नाम भी बड़ा अजीब-सा दिया है- 'औघट घाट'। एक तो औघट हुए शिव-शंकर विश्वनाथ और दूसरा हुआ घाटों- मणिकर्णिका और दशाश्वमेध जैसे घाटों- का नगर बनारस. गंगा की गमक, कथक-तबला-दरबार, कजरी-चैती-ठुमरी, कत्था-चूना-पान, मींड-लोच-लालित्य और लय... ये सारे बनारसे के चेहरे हैं. और बिस्मिल्ला हैं बनारस की पहचान, बनारस का बिम्ब- सघन और साकार, धड़कता-लरज़ता हुआ- शहनाई की चीख़ के सातवें सप्तक सरीखा. मुझे बार-बार उस्ताद बिस्मिल्ला की जिंदगी का आखिरी दिन याद आ रहा है, जब वे अस्पताल में बिस्तर पर मौत के सिरहाने सोए कजरी सुना रहे थे, जबकि उनकी टूटती हुई साँसों में अब इतनी सक़त बाक़ी नहीं रह गई थी कि उसे शहनाई के कलेजे में फूँक सकें. ...और सन् 59 की फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' का 'तेरे सुर और मेरे गीत'... और उस्ताद विलायत ख़ां के साथ सितार की जुगलबंदी में राग यमन की उठान... चिर उत्सवी बनारस को शहनाई के मांगलिक स्वरों में मूर्त करते हुए, जबकि मौन का कटा हुआ कछार दूर-दूर तक नहीं है, गंगा के मैदानी विस्तारों तक भी. उस्ताद को बस इसी तरह याद किया जा सकता है. तुमने उस्ताद के बहाने गंगा-जमनी तहज़ीब की बातें भी कहीं- दोस्त, ख़ून और धुंए के इस मौसम में ये बातें लगातार दोहराते रहना हमारे लिए बहुत ज़रूरी हो चला है. उस्ताद के लिए फ़ातिहा पढ़ते हुए हम आदमियत और मौसिक़ी की लंबी उम्र के लिए आमीन कहते हुए झुकते हैं. मन से लिखते रहो. सुशोभित सक्तावत ।sushobhit saktawathttp://www.sushobhit.mywebdunia.comnoreply@blogger.com